दानव या दैत्य की कहानी | Monster Story in Hindi
सुदूर स्थित गांव, मनोहरपुर से उड़ते-उड़ते एक खबर आ रही है । खबर बहुत डरावनी है बताया जा रहा है कि गांव में आधी रात के बाद एक विशालकाय राक्षस आ रहा है जो बहुत भयानक और क्रूर है । वह अपनी पिपासा को शांत करने के लिए रोज किसी न किसी जीव, जंतु यहां तक कि मनुष्यों का भक्षण करता और भूख शांत होने पर वह कहीं गायब हो जाता है ।
हालांकि गांव वालों ने उसका सामना करने की बहुत कोशिश की परंतु मनुष्यों का उस राक्षस से मुकाबला कर पाना असंभव है । जब ये खबर सुखसागरपुर गांव के लोगों तक पहुंची तब उन्होंने कहा
जैसी करनी वैसी भरनी, मनोहरपुर गांव के लोगो को किसी के सुख-दुख से मतलब नहीं था उन्हें तो बस दूसरो को परेशान करने में आनंद आता था । आज उन्हें अपने इन्हीं कुकर्मों का फल मिल रहा है
धीरे-धीरे काफी वक्त गुजर जाता है इस बीच राक्षस एक के बाद एक गांव वालों का भक्षण करते हुए पूरे गांव को ही नष्ट कर देता है । मनोहरपुर गांव में अब एक परिंदा भी जीवित नहीं बचा ।
परिणामस्वरूप वह अपने भूख की तृप्ति के लिए जीवो की खोज में दूसरे गांवो की ओर रूख करता है । थोड़ा आगे बढने पर उसे सुखसागरपुर गांव से आ रही जीवों की गंध महसूस होती है वह बहुत तेजी से उनकी तरफ बढता है ।
जैसे ही इस बात की भनक गांव वालों को लगती है उनके तो मानो हाथ-पांव ही फूल जाते हैं । वे उस राक्षस के बारे में ढेर सारी जानकारी इकट्ठा करने लगते हैं तब उन्हें समझ आता है कि इस राक्षस का नाश तो कोई मनुष्य नहीं बल्कि हिमालय पर तपस्या में लीन बाबा ही कर सकते हैं जो सावन में सिर्फ एक बार गांव में दर्शन देते हैं ।
गांव वालों को इस बात का पूर्ण विश्वास है कि यदि राक्षस के प्रकोप की सूचना बाबा तक पहुंच जाए तो वे हर हाल में अपनी तपस्या बीच में रोककर, उनकी मदद के लिए हिमालय से उल्टे पांव लौट आएंगे परंतु इस काम के लिए अब बहुत देर हो चुकी है क्योंकि बाबा तक संदेश पहुंचाने से लेकर उन्हें यहां तक आने में करीब 2 महीने से अधिक का वक्त लग सकता है परंतु तब तक राक्षस के प्रकोप से शायद ही कोई जीव जंतु गांव में जीवित रह सके ।
कोई रास्ता ना सूझता देख गांव वाले, गांव के एक व्यक्ति को संदेश वाहक बनाकर बाबा के पास भेजते हैं । उधर गांव की तरफ तेज़ी से आ रहा राक्षस, राह में आने वाले सभी जीव-जंतुओ का भक्षण करता हुआ गांव में कदम रखता है । उससे बचने के लिए सभी गांव वाले अपने-अपने घरों में छूप जाते हैं ।
कई दिनों से भूखा प्यासा राक्षस, पहले ही दिन गांव के लगभग सभी पशु-पक्षियों को अपना आहार बना लेता है । सुबह चारों तरफ जीवो की हड्डियां बिखरी देख गांव वालो कि रूह कांप जाती है परंतु अब अपनी बारी का इंतजार करने के सिवा उनके पास दूसरा कोई चारा नहीं है । धीरे-धीरे गांव वाले राक्षस का ग्रास बनते चले जा रहे हैं और अब सिर्फ एक तिहाई गांव ही राक्षस का निवाला बनने के लिए बाकी रह गया है ।
तभी अचानक बाबा के शुभ चरण गांव में पड़ते हैं संयोगवश उनका सामना उस क्रूर राक्षस से हो जाता है । बाबा को देखते ही राक्षस वहां से भागने लगता है परंतु बाबा के तेज से वह नहीं बच पाता और भस्म हो जाता है । पूरे गांव वाले बाबा के चरणों से लिपटकर राहत भरी सांस लेते हैं तब बाबा कहते हैं
यह सब तुम लोग के बुरे कर्मों का ही परिणाम है । यदि तुम सब ने दूसरों की परेशानियों का मजा लेने, उनकी खिल्ली उड़ाने और उन पर दोष मढ़ने की बजाय, उनकी परेशानियों को अपनी परेशानी समझकर उसका हल ढूंढने की कोशिश की होती तो शायद इस समस्या के विषय में तुम सब ने मुझे और पहले ही अवगत करा दिया होता और तब शायद ये विनाश और पहले ही रूक जाता
राक्षस की कहानी से शिक्षा
लोग दूसरों पर विपत्ति आने पर उन्हें उनके बुरे कर्मों का परिणाम कहकर खुद को अच्छा साबित करने की कोशिश करते हैं परंतु विपत्तियां किसी एक पर नहीं आती बल्कि यह क्रमशः सभी पर आनी है । दुनिया में विपत्तियों से कोई नहीं बच पाया है । जब स्वयं प्रभु श्रीराम भी विपत्तियों से नहीं बच पाए तो भला मनुष्य कैसे इनसे दूर रह सकता है
इसीलिए किसी को problem में देखकर उसपर हंसने या उसे उपदेश देने की बजाय, उसे उसकी problem से निपटने में मदद करनी चाहिए । ऐसा करके आप न सिर्फ अपने लिए एक मित्र जोड़ पाएंगे बल्कि विपत्ति से निपटने का अनुभव भी प्राप्त कर सकेंगे इसलिए जहां तक हो सके दूसरो की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहें !