तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा | शायरी | करन मिश्रा

तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा, मैं भी तुझको भूल गया हूं थोड़ा थोड़ा, साम को अक्सर आ जाती थी हिचकी मुझको, हिचकी आनी कम हुई है थोड़ा थोड़ा। जिस्म को जब कभी छू जाती थीं सर्द हवाएं, याद तुम्हारी आ जाती थी थोड़ा थोड़ा। रूठे जो तुम रूठ गया है बसंत का […]

तुझे जब चाहा था तब तू ऐसा नहीं था | शायरी | करन मिश्रा

तुझे जब चाहा था तब तू ऐसा नहीं था, जैसा भी था पर ऐसा नहीं था, तुझमें नज़ाकत थी सराफत थी और गुस्सा भी बहुत था, थे और भी ऐसे कई पर कोई तेरे जैसा नहीं था। Tujhe Jab Chaha Tha Tab Tu Aisa Nahi Tha, Jaisa Bhi Tha Par Aisa Nahi Tha, Tujhme Nazakat […]

क्या खूब मजा है जीने में | शायरी | करन मिश्रा

क्या खूब मजा है जीने में, जब आग लगी हो सीने में। होठों से पीना क्या पीना, जो मजा है आंख से पीने में। Kya Khoob Maja Hai Jeene Mein, Jab Aag Lagee Ho Seene Mein. Hothon Se Peena Kya Peena, Jo Maja Hai Aankh Se Peene Mein.

बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है | शायरी | करन मिश्रा

बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है, सच कहूँ तो अब मेरा अँधेरों में ही मन लगता है। न खोलो खिड़कियां कहीं कोई खुशी आ ना जाए, मुझे तो अब गम से ज्यादा खुशियों से ही डर लगता है। Bujha Do Chiragon Ko Mujhe Ujalo Se Dar Lagata Hai, Sach Kahun To […]

तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है | शायरी | करन मिश्रा

तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है, संभलते संभलते पूरी रात गुजर जाती है। मैं चाँद से करता हूँ तेरे हुस्न के चर्चे, वो शर्मा के छुप जाता है और सुबह निकल आती है। Tera Husn Dekhkar Meri Tabiyat Bigad Jati Hai, Sambhalate Sambhalate Puri Raat Gujar Jati Hai. Mai Chand Se Karata Hun […]

मुझको तेरे जैसा हमदर्द मिल गया | शायरी | करन मिश्रा

खुशनसीबी है मेरी कि तू बेदर्द मिल गया, मुझे तू ना सही पर तेरा दर्द मिल गया। गैरों से अब मैं शिकवा करूं भी तो क्या, जब मुझको तेरे जैसा हमदर्द मिल गया। Khushnaseebi Hai Meri Ki Tu Bedard Mil Gaya, Mujhe Tu Na Sahi Par Tera Derd Mil Gaya. Garon Se Ab Mai Shikwa […]

इश्क की राहों में बढ़ जाना तो आसान है | शायरी | करन मिश्रा

इश्क की राहों में बढ़ जाना तो आसान है फिर उन्हीं राहों से लौट आना मुश्किल । किसी के ख्वाब सजा लेना तो आसान है फिर उन्हीं ख्वाबों को भूल पाना मुश्किल। यूं ही किसी को दिल में न बसा क्योंकि, किसी को अपने दिल में बसा लेना तो आसान है, फिर उसी को दिल […]

मुझमें जान अभी बाकी है | शायरी | करन मिश्रा

मुझमें जान अभी बाकी है, जीने का अरमान अभी बाकी है। ख्वाबो से कह दो अभी हौसला ना हारे, जितने का मुझमे तूफ़ान अभी बाकी है। Mujhame Jaan Abhi Baki Hai, Jeene Ka Aramaan Abhi Baki Hai. Khwabo Se Kah Do Abhi Hausala Na Hare, Jitane Ka Mujhame Tufaan Abhi Baki Hai.

तुझे भूल भी गया हूं और भूला भी नहीं‌ | शायरी | करन‌ मिश्रा

ये सच तो है मगर पूरा सच नहीं, तुझे भूल भी गया हूं और भूला भी नहीं। तेरे बगैर जी को अब लगा लिया है मैंने, जी लगा भी लिया है और जी कहीं लगा भी नहीं। जबसे गए हो तन्हा मुझे छोड़कर यहां, मैं जिंदा तो हूं बेशक पर जिंदा भी नहीं। Ye Sach […]

दिखावे के रिश्ते दिखावे में रह गए | शायरी | करन‌ मिश्रा

दिखावे के रिश्ते दिखावे में रह गए, हम बस ऐसे रिश्तों को बचाने में रह गए। कभी मतलब से रूठे कभी मतलब से माने, हम नासमझ उनको मनाने में रह गए। Dikhawe Ke Rishte Dikhawe Me Rah Gaye, Ham Bas Aise Rishton Ko Bachane Me Rah Gaye. Kabhi Matlab Se Ruthe Kabhi Matalab Se Mane, […]

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